बाल खंड
कहानी
ग़ायब होती गोरैया
मैं कभी ख़ुशहाल पक्षी थी, जो लोगों के घरों में अपनी घोसला बनाती थी। ज़्यादातर लोग मेरे दोस्त थे। मैं छतों के बीच की दरारों के भीतर कोने और छेद तलाशने में लगी रहती थी,ताकि अपने चाहने वालों के बीच अपना घोसला बना सकूं। मैं सब जगह थी। लेकिन धीरे-धीरे खाने में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक से मैं और मेरे रिश्तेदार परेशान होने लगे। मेरे कई सारे दोस्त,भाई-बंधु और बहन इस कारण इस दुनियां से चल बसे।लोगों ने बड़ी-बड़ी इमारतें बनानी शुरू कर दीं और इन इमारतों में घोसले बनाने की जगह पाना मुश्किल हो गया। मोबाइल के टावर से निकलती हुई वाइब्रेशन ने भी हमें काफ़ी नुक़सान पहुंचाया और इन सबने मिलकर हमारे जीवन शैली को बदलकर रख दिया है।
बिहार की सरकार ने मुझे अपना राज्य पक्षी बना लिया है ताकि आप याद रख सकें कि आपको मुझे बचाना है। आप गोरैया के दोस्त हो सकते हैं और हमारे अस्तित्व को क़ायम रखने में सहायक बन सकते हैं। आप हमें किस तरह बचा सकते हैं, यह जानने के लिए बिहार संग्रहालय की बाल-दीर्घा में आयें !