• जल प्रपात परिधि

    मुख्य संग्रहालय की केन्द्रीय छत को जल प्रपात परिधि कहा जाता है। जल प्रपात परिधि पृष्ठभाग पर झरने से सुशोभित एक समलंबाकार स्थल है। पानी के मोहक दृश्य को अपनी आंखों में संजोयें तथा संग्रहालय की यात्रा के बीच तरोताज़ा होने के लिए एक आनंददायक विश्राम लें।

  • पीपल परिधि

    जल प्रपात परिधि के उस पार, आप पीपल परिधि में पहुंचेंगे, जहां पेड़ों की छाया में आराम कर सकते हैं। पीपल परिधि का नाम  यहां दो पीपल के बड़े पेड़ों के कारण पड़ा है। पीपल का पेड़ इसलिए बहुत लोकप्रिय तथा यादगार माना जाता है क्योंकि इसी के नीचे बैठकर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी,पीपल बिहार का राज्य प्रतीक भी है।

  • मुक्ताकाश प्रेक्षास्थल

    हमारा मुक्ताकाश प्रेक्षास्थल की संरचना कुछ इस तरह बनायी गई है ताकि थियेटर, नाटक तथा अन्य प्रदर्शनों को आकाश के नीचे हवादार जगह पर देखा जा सके। संग्रहालय के सबसे खुले और हवादार स्थलों में यह सबसे बड़ा स्थल है। यहां आराम से सीढ़ियों पर 20 लोग बैठ सकते हैं। मुक्ताकाश प्रेक्षास्थल, पूर्वावलोकन केन्द्र के सम्मुख संग्रहालय के प्रवेशद्वार के नज़दीक स्थित है। आप मुक्ताकाश प्रेक्षास्थल के पूरब की तरफ़ सटे हुए रेस्तरां के ज़रिये भी इसमें प्रवेश कर सकते हैं।

  • निरंजना आँगन

    निरंजना आँगन में बुद्ध से संबंधित विषय वाली प्रतिमाएं है। ध्यान लगाने वाले इस स्थल का नामकरण निरंजना नदी के नाम पर किया गया है, जहां बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने के बाद कहा जाता है कि बुद्ध ने स्नान किया था। एक ज़ल प्रणाली आँगन से होकर बहती है, जो निरंजना नदी की याद की पुनर्रचना करती है। इतिहास दीर्घा सी को दृश्य भंडार दीर्घा से जोड़ते हुए आँगन के आर-पार एक ऊपरी पुल का निर्माण किया गया है।