इतिहास दीर्घा ए में, आप बिहार पर केन्द्रित भारतीय उपमहाद्वीप के आद्य इतिहास और प्राक्इतिहास की यात्रा पर निकलेंगे। सिंधु घाटी, द्वितीय शहरीकरण तथा हर्यंक कालीन इतिहास से पर्दा उठायें। बुद्ध के प्रमुख शिष्यों, बौद्ध धर्म के वैश्विक प्रचार-प्रसार और बौद्ध धर्म और जैन धर्म की मूल शिक्षाओं के बारे में जानें। महावीर के जीवन को दर्शाते हुए पत्थर तथा कांस्य से बने तीर्थंकरों के संग्रह चमत्कृत करते हैं तथा जैन कला को अपने में समाहित करते हैं। यह दीर्घा शिशुनाग तथा नंद और मौर्यवंश के उत्थान, अशोक के शासनकाल, कलिंग युद्ध तथा अशोक के शांतिप्रिय हो जाने के अतीत का सफ़र करवाती है। अशोक के शिलालेख ब्राह्मी तथा अन्य लिपियों के तत्कालीन इस्तेमाल को दर्शाते हैं। ‘बराबर गुफाओं’ की प्रभावशाली वास्तुकला की पुनर्रचना को देखें।
दीर्घा ए का परिचय
प्रवेशद्वार पर, हड़प्पाकालीन चार बड़े मृद्भांड ताम्र आवेष्टित दीवार के भीतर रखे गए हैं। इस दीर्घा का एक नक्शा दर्शकों को विभिन्न खंडों से परिचय करवाता है।
आद्य इतिहास से प्रथम शहरीकरण तक
पुरापाषाणकालीन तथा मध्यपाषाणकालीन के उपकरण तथा कलाकृतियां प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं। नवपाषाणकालीन कुल्हाड़ी जैसे हथियार तथा पीसने वाले पत्थरों को भी दिखाया गया है। बिहार में स्थित चिरांद के लोग भी कमोवेश इसी तरह के हथियार बनाते थे,जो आकार में छोटे,ज़्यादा सुगढ़ थे और इसे सूक्ष्मयंत्र कहते थे,जिनसे उन्हें शिकार करने में और खेती करने में बहुत सहायता मिलती थी। यहां उत्तरपाषाणकाल की मिट्टी की विशाल सुराही,दुर्लभ तांबे के ढेर तथा उपकरण हैं।
प्रथम शहरीकरण खंड बर्तन बनाने वाले बेहतर कौशल तथा हड़प्पा सभ्यता को दिखाता है।यह लुप्त हुई सिंधु घाटी तथा हड़प्पा की लिपि के रहस्य की खोज करता है,जिसे आज भी पढ़ा जाना बाक़ी है।यहां आप वैदिक परंपरा की शुरुआत के बारे में सीख-समझ सकते हैं।
दूसरा शहरीकरण : 16 महाजनपद
16 महाजनपद प्राचीन भारत में बने हुए मुख्य संप्रभु राज्य थे। इनमें,मगध,काशी तथा कौशल का उदय मुख्य राज्यों के रूप में हुआ।इस खंड में उस युग के पाये गए पंच मार्क्ड सिक्के,मिट्टी की मूर्तियां तथा उत्तरी काली पॉलिश्ड मृद्भांड को देखा जा सकता है। सिक्के और भित्ति-चित्र वाली पुनर्रचित पत्थर की दीवार इस खंड का विशेष आकर्षण है।
एक विशाल दीवार पर हर्यंक की कहानियां
दीर्घा के हर्यंक वाले हिस्से में विशाल दीवार है तथा एक परिचयात्मक पैनल मगध के उदय को दिखाता है। राजा बिंबसार ने साम्राज्यवाद की अवधारणा को स्थापित किया था।राजगृह उसके पुत्र अजातशत्रु के राज्यकाल में भी मगध की राजधानी बना रहा तथा उसने कौशल,वज्जी तथा काशी को जीता।इस दौरान पाटलिपुत्र बनने के दौर में था तथा एक बड़े शहर के रूप में उभर चुका था एवं एक राजधानी बन चुका था। इस समयावधि की कलाकृतियों के दृश्य बौद्ध तथा जैन धर्म के प्रति अजातशत्रु के सम्मान को दिखाते हैं।
जीवन का मार्ग दिखाते जैनधर्म तथा बौद्धधर्म
बौद्धधर्म तथा जैनधर्म खंड के प्रवेश द्वार पर जागरुकता को प्रेरित करते दृश्य हैं तथा इसी तरह खंड के अंत में आप उषाकाल का एक प्रेरित करता प्राकृतिक परिदृश्य देखेंगे। पत्थर तथा कांसे के शिल्प दर्शकों का परिचय जैनधर्म तथा वर्धमान महावीर से करवाते हैं। बौद्धधर्म खंड विभिन्न कालखंडों के पत्थरों तथा कांसे पर उकेरे गए विवरणों से भरपूर हैं,जो दिखाते हैं कि भारतीय समाज पर बौद्धधर्म का कितना असर था।
बुद्ध और बौद्धधर्म का विस्तार
इस खंड का मुख्य आकर्षण विशाल बुद्ध प्रतिमा और बुद्ध की गंधार प्रतिमा का व्यापक संग्रह है। इसमें बुद्ध के मुख्य शिष्यों का परिचय दिया गया है। भित्ति-चित्रों तथा साहित्य के माध्यम से बौद्धधर्म के वैश्विक विस्तार को दिखाया गया है।बौद्धधर्म को इसके संकेतों जैसे घंटी तथा स्तूप के रूप भी दर्शाये गये हैं।
महावीर तथा जैनधर्म का विस्तार
जैनधर्म के विभिन्न पहलुओं तथा विभिन्न जिनो को विस्तृत रूप से समझाता-दिखाता पत्थर तथा कांसे से बने तीर्थंकरों का प्रदर्शन। कलाकृतियों,प्रदर्शनियों के माध्यम से जैनधर्म के सांकेतिक विस्तार तथा प्रतिमाओं के व्यापक संग्रह को दिखाया गया है।जैन कला तथा पावापुरी खंड में, पानी की लहर के दीवार पर प्रदर्शन के साथ एक जैन तोरण की शानदार पुनर्रचना को देखा जा सकता है।
बौधधर्म तथा जैनधर्म की मूल शिक्षा
इस खंड का केन्द्रीय भाग बहुत बड़ी संख्या में बौद्ध तथा जैन कलाकृतियों से बना है। बौद्ध तथा जैन दर्शनों के बीच के संबंध का आर-पार लटकते रिबन के माध्यम से सजीव चित्रण किया गया है। कर्म का सिद्धांत तथा निर्वाण के मार्ग की व्याख्या की गई है।
मगध का उदय
लकड़ी के एक विशाल तोरण गेट से प्रवेश करें तथा नंद की ताकतवर सेनाओं के बारे में जानने के लिए भाले के एक मंडप के ऊपर जीवंत अतीत की यात्रा करें। बिहार के क्षेत्रों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन मगध के विकास में मददगार साबित हुआ। राजगृह एक बड़े शहर के रूप में स्थापित हुआ तथा मगध साम्राज्य का विकास एक व्यापार केन्द्र के रूप में अनाज संग्रह करने वाले प्राधिकरण के द्वारा किया गया। नंद राजवंश ने भारत के पहले साम्राज्य को संगठित किया तथा पाटलिपुत्र को सैनिक गतिविधियों का मज़बूत केन्द्र बना दिया।
महान मौर्य साम्राज्य
मौर्य वंश के उत्थान के साथ इस क्षेत्र के कुछ आकर्षक नायकों से मिलिये। चंद्रगुप्त मौर्य के मुख्य रणनीतिकार तथा सलाहकार चाणक्य,जिन्होंने नंदवंश का नाश किया तथा मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। जानिये कि अर्थशास्त्र को कैसे ढूंढ़ा जा सका । यूनानी राजदूत मेगास्थनीज़ के बारे में जानिये,जिसने मौर्य साम्राज्य की यात्रा की तथा अपनी इस यात्रा का विवरण उसने अपनी शानदार किताब, ’इंडिका’ में दिया। यहां चकित करने वाली मौर्य कला का प्रदर्शन किया गया है।
विजेता और शांतिवादी अशोक
भारत के बेहद आकर्षक सम्राट अशोक से मिलिये ! यह खंड कलिंग युद्ध तथा इसकी तबाही के बाद अशोक के शांतिवाद की तरफ़ मुड़ने की घटना को दिखाता है। अशोक के शिलालेखों के बारे में जानिये,जहां वह अपने आपको ‘पियदस्सी’ यानी ‘ईश्वर का प्रिय’ कहता है। अशोक के कल्याणकारी राज्य के अदुभत प्रारुप तथा धम्म मिशन को को दर्शाया गया है। जानें कि किस तरह ब्राह्मी लिपि पढ़ी जा सकी और कैसे कुम्हरार की खुदाई से मौर्यकालीन इतिहास की कई बातों को पता लगा।