पूर्वावलोकन दीर्घा
आगे दिखायी जाने वाली वस्तुओं की एक झलक
संग्रहालय के सिंहावलोकन कराने वाली पांच पैनलों की श्रृंखला में शामिल हैं:दृश्य भंडार के रूप में तीन इतिहास दीर्घाएं तथा अन्य दीर्घाएं,ऐतिहासिक कला,क्षेत्रीय कला तथा बिहारी संतति, समकालीन कला एवं प्रदर्शनियां। घटनाक्रम आद्यइतिहास से लेकर 19वीं शताब्दी के दौरान वाले बिहार के महत्वपूर्ण मील के पत्थरों एवं अहम घटनाओं के बारे में बताता है। यहां संग्रहालय का एक नक्शा भी है।
पूर्वावलोकन दीर्घा में, दर्शक इस बात को जान पाते हैं कि पुरातत्व विशेषज्ञ ऐतिहासिक विवरण की मदद से इतिहास की व्याख्या और इतिहास लेखन किस तरह करते हैं।
“नई खोज”श्रव्य-दृश्य के माध्यम से तेलहारा में हाल फिलहाल में हुई खोज तथा चल रही खुदाई से मिली कलाकृतियों को दिखाया जाता है। इससे दर्शकों को अतीत को समझने के लिए चल रहे शोध का बोध होता है। नई खोज के साथ इतिहास को समझने के हमारे दृष्टिकोण में लगातार बदलाव होता रहता है।
“हम जो कुछ जानते हैं,उसे कैसे जानते हैं” इस सवाल को समझाती यह एक दिलचस्प प्रदर्शनी है,जो इस बारे में बताती है कि पुरातात्विक उपलब्धियों,पुस्तकों के विवरणों तथा मौखिक परंपराओं की व्याख्या से इतिहास का निर्माण किस तरह होता है।हम चार पैनलों के माध्यम से इतिहास से पर्दे को उठते हुए देखते हैं : सामूहिक समझ की खोज की भावना के माध्यम से,विवरणों की व्याख्या,एक तथ्य को दूसरे से जोड़ते हुए और अंत में मौखिक परंपराओं के माध्यम से हम अतीत के स्वर को सुन पाते हैं।
श्रव्य-दृश्य प्रदर्शनी बिहारभर में चल रही कई उन खुदाइयों को प्रस्तुत करती है,जिनके लिए पुरातत्ववेत्ता दिन रात कार्य कर रहे हैं।
दीर्घा के अंत में स्थित पूर्वावलोकन प्रेक्षागृह में पूर्वावलोकन फ़िल्म को देखें। फ़िल्म में मुंगेर के पैसरा में मध्यपाषाणकालीन अवेशेष,बोधगया के ताराडीह में नवपाषाणकालीन अवशेष,सोनपुर के गैर में पुरापाषाणकालीन अवशेष,सारण के चिरांद में निवास स्थल तथा कैमूर,नवादा तथा जमुई में पत्थर को काटकर रहने वाले गुफ़ाओं को दिखाया जाता है। आप पुरातत्व निदेशालय,बिहार के संग्रहालयों तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संचालित अतीत के कार्यों को देख सकते हैं। तेलहारा तथा चौसा के ऐतिहासिक स्थलों पर चल रहे कार्यों पर विशेष ज़ोर दिया जाता है।