संग्रहालय भवन की रूपरेखा और संरचना निर्माण लिए, विश्वविख्यात वास्तुशिल्प से संबंधित कंपनियों को अपने-अपने प्रस्ताव को प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया तथा प्रतियोगिता के आधार पर चयन किया गया। जापानी कंपनी, माकी एण्ड असोसिएट्स ने विजेता प्रस्ताव दिया, जिसने प्रस्ताव रखा कि वो एक मुंबई की कंपनी ओपोलिस आर्किटेक्ट्स के साथ अपनी योजना को लागू करेगी। 10 साल तक अमेरिका में कंपनी के स्थापक फ़ूमिहीक माकी द्वारा अपनी सेवा देने के बाद माकी एण्ड असोसिएट्स की स्थापना 1965 में की गई। उन्हें बहुत सारे राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया है। बिहार संग्रहालय के लिए माकी ने एक संकल्पना की रूरेखा बनायी, जिसकी अवधारणा ने संवेदनशील अनुभव को आकर्षित किया, क्योंकि यह व्यावहारिक दृष्टिकोण के हिसाब से बिल्कुल सटीक बैठती थी और प्रतिष्ठान के भविष्य में होने वाले विकास को देखते हुए इसमें प्रावधानों की पूरी गुंजाइश थी। वास्तुकारों ने संग्रहालय की कल्पना कुछ इस तरह से की, मानों अलग-अलग लेंसों के माध्यम से चार पार्श्वों को इसे देखा जा रहा हो।
डिज़ाइन का लक्ष्य निम्नलिखित कारकों का सृजन करना था:
- विस्तार के रूप में संग्रहालय – एक ऐसा संग्रहालय, जो बिहार के इतिहास के विभिन्न स्तरों को प्रतिबिंबित करता हो।
- यात्रा के रूप में संग्रहालय – एक ऐसा संग्रहालय, जो स्मृतियों तथा बिहार क्षेत्र के महाकाव्यात्मक गुंजाइश को प्रतिबिंबित करता हो।
- ञान परिदृश्य के रूप मे संग्रहालय – एक ऐसा संग्रहालय, जो बिहार की शैक्षणिक आवश्यकता को प्रतिबिंबित करता हो।
- प्रतीक के रूप में संग्रहालय – एक ऐसा संग्रहालय, जो भारत के अतीत और भविष्य दोनों को प्रतिबिंबित करता हो।
एक भवन के अपने तल क्षेत्र तक संकुचित रहने के कारण माकी एण्ड असोसिएट्स ने विस्तारित योजना का फ़ायदा उठाते हुए भवन का विस्तार किया गया तथा आस-पास के परिदृश्य को सौहार्द्रपूर्ण तरीक़े से इसके साथ एकीकृत कर दिया। इससे डिज़ाइन में आँगन और छतों के इस्तेमाल की भी संभावना बनी, समेकित रूप से बाहरी क्षेत्रों के साथ आंतरिक क्षेत्र का विकल्प भी खुला। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि निर्मित क्षेत्रों की यात्रा करते हुए दर्शक इतिहास की खोज कर पायें, वास्तुकार ने जापानी ‘ओकू’ संकल्पना को लागू किया, जिससे इस स्थान के कई स्तरों का उपयोग संभव हो सके। दर्शकों जैसे ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है, ओकू आशा और चिंतन के बोध को सृजित करता है। इस तरह, माकी एण्ड असोसिएट्स ने एक सुखद तथा लुभावने अनुभव का सृजन किया, जहां उनके विशेषज्ञों तथा संवेदनशील वास्तुशिल्प द्वारा अतीत की कहानियों को और बेहदर बना दिया गया है। आप हमेशा इस संग्रहालय की यात्रा करते हैं, और जितनी बार आप ऐसा करते हैं, हर बार आपको एक नया अनुभव होता है। बाहरी दुनियां की भीड़ से हटकर आपको अतीत की गहराई में डूबकी लगाने का मौक़ा देते हुए समय इस क्षेत्र विस्तार के भीतर स्वयं को धीमा कर देता है।
बिहार की समृतियों के “विहार” के ज़रिये एक यात्रा के विचार के आधार पर तरह-तरह के क्षेत्र आपके सामने खुलते हैं, और ये क्षेत्र हैं: विशाल एवं अंतरंग, खुला एवं बंद, आंतरिक क्षेत्र और वाह्य क्षेत्र। इस “वृहत् अनुभव” से इसका वास्तुशिल्प आपको “सूक्ष्म अनुभव” पाने की सहूलियत देता है, जिससे आपका ध्यान प्रदर्शित वस्तुओं पर केन्द्रित हो जाता है। प्रदर्शनी स्थलों के बीच वैषम्य पैदा करके, वास्तुशिल्प देखने के अनुभव की एकरसता को तोड़ता है। साथ ही स्फूर्तिदायक वाह्यस्थल, जैसे पीपल परिधि, जो कि एक त्रिकोणीय छत है, निरंजना आँगन, जो बुद्ध प्रतिमा का आँगन है, प्राकृतिक तत्वों को वास्तुशिल्प के साथ एकाकार कर देते हैं।
ये क्षेत्र दीर्घाऐं को विभिन्न विशिष्ट खंडों में बांटता है, बाल दीर्घा तथा इसके पूर्वावलोकन खंड को भी अलग-अलग रखा गया है। यह वास्तुशिल्प इस बात के लिए लगातार प्रयासरत है कि विस्मय तथा सम्बद्धता के भाव में अभिवृद्धि होती रहे, जिससे दर्शक खोज तथा आविष्कार करते रहें। इस तरह यह वातावरण एक ज्ञान पिरदृश्य की रचना करता है, एक ऐसा स्थान, जो शांति का भाव पैदा करता है, जो शिक्षा के अनुकूल है।
बिहार के प्रतीक के रूप में यह संग्रहालय ‘दर्शकों’ की चेतना को अपनी अद्भुत निकटता तथा निर्माण सामग्री से झकझोरता है। लोहा का भारतीय प्राचीन सभ्यताओं के साथ गहरा जुड़ाव है, जिससे यह भूमि समृद्ध है तथा माकी ने लोहे, उद्योग तथा प्रगति के बीच सांकेतिक जुड़ाव को दर्शाने के लिए आपक्षय इस्पात का इस्तेमाल किया है, जिसे कोर-टेन स्टील के रूप में भी जाना जाता है।
इस प्रकार, इस संग्रहालय का वास्तुशिल्प प्रदर्शित वस्तुओं के सुव्यवस्थित प्रस्तुतिकरण के लिए एक रचनात्मक आवरण तथा भारत के इतिहास की खोज करने के लिए एक व्यापक आधार के माध्यम से दर्शकों के मार्गदर्शक एवं प्रत्येक व्यक्ति को अधिक से अधिक प्रतीकों के साथ जोड़ने वालों की तरह कार्य करता है।